Wednesday, March 22, 2017

नन्ही लड़की

मेरे इस

संजीदा सी औरत के 

किरदार के पीछे

 मेरे अंदर

 एक नन्ही लड़की 

रहा करती है, 

जो चाहती है

 तितलियों के पीछे

 नंगे पाँव भागना;

 समुन्दर किनारे 

गीली रेत से

 घरौंदे बनाना;

 मुझे मालूम है 

कि वो नन्हीं लड़की 

सिर्फ़ इसीलिए 

अभी भी ज़िंदा है 

क्यूँकि वो बचपन से ही

 क़ैद थी 

पाबंदियों के घेरे में 

अगर वो बचपन में ही

 तितलियों के पीछे भागी होती

 या रेत से खेली होती 

तो आज यूँ 

 बच्चों के खेल

 देख के ललकती नहीं ....

 पर कोई गिला नहीं

 फिर भी ज़िंदगी से 

आज मेरे अंदर की नन्ही लड़की 

की दो हम उम्र सहेलियाँ हैं

 हाँ, मैं माँ भी हूँ

 और दोस्त भी अपनी बेटियों की... 

उन्हें पूरी इजाज़त है

 अपना बचपन बेलौस जीने की,

 और मेरे अंदर की 

नन्ही लड़की को इजाज़त है 

फिर से बचपन को जी लेने की 

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